नीमच मध्यप्रदेश

मुआवजा नही देना पड़े इसलिए मुख्यमंत्री नहीं करवाना चाहते पटवारियों की हड़ताल समाप्त- कांग्रेस नेता तरुण बाहेती ने लगाए आरोप

कबीर मिशन समाचार।

पटवारी हड़ताल से फसलों का सर्वें, नामांतरण, बंटवारा, जाति प्रमाण पत्र सहित आमजन के कई काम अटके

नीमच। एक माह से निरंतर प्रदेश सहित नीमच जिले में पटवारियों की हड़ताल जारी है। पटवारियों की ऐसे समय में हड़ताल चल रही है, जिस समय पटवारियों की अंत्यत आवश्यकता रहती है। नीमच जिले में सोयाबीन, उडद, मक्का सहित कई फसलें बारिश की खेंच की वजह से बर्बाद हुई थी,पटवारियों की हड़ताल की वजह से सर्वे का काम शुरू नहीं हो पाया। सरकार किसानों को मुआवजा नहीं देना चाहती है। इसलिए सीएम शिवराजसिंह चौहान पटवारियों की हड़ताल को समाप्त नहीं करना चाहते है। अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही आचार संहिता लग जाएगी जिसमें निर्वाचन का काम बढ़ जाएगा ऐसे में पटवारी हड़ताल से पहले से रुके हुए फसल नुकसानी सर्वे,नामांतरण, बंटवारा,जाति प्रमाण पत्र,सीमाकंन एवं अन्य काम अटकें रह जाऐंगे।

यह आरोप कांग्रेस नेता एवं जिला पंचायत सदस्य तरूण बाहेती ने लगाए है। श्री बाहेती ने कहा कि पटवारी हड़ताल से आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। बारिश समय पर नहीं होने से सोयाबीन,उडद सहित अन्य फसलें सूख गई थी और कई किसानों ने सूखी फसलों को उखडवा दी और कई किसान खराब हुई के फसलों के सर्वे के इंतजार में बैठे है लेकिन नीमच जिले में पटवारियों की हड़ताल चल रही है। अब नुकसानी के आंकलन के लिए फसल कटाई प्रयोग का समय है लेकिन अधिकारियों के पास एक ही जवाब है की फसलों का सर्वे कौन करें, सभी पटवारी हड़ताल पर है।
बाहेती ने कहा कि हर किसान नुकसानी की वजह से मुआवजे की आस में बैठा है,वहीं पटवारीगण हड़ताल पर बैठे है। सरकार भलीभांति जानती है कि पटवारी के बिना यह काम संभव नहीं है। पटवारीयों की हड़ताल समाप्त कर मुआवजे की प्रक्रिया को आगे बढाना चाहिए, पर सरकार किसानों को किसी प्रकार की कोई राहत या मुआवजा नहीं देना चाहती है, इसलिए पटवारियों की हडताल को आगे बढ़ाकर समय बिताना चाहती है, बाद में आचार संहिता लग जाएगी और अधूरे काम अधूरे ही रह जाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान चाहते तो एक दिन में ही हड़ताल समाप्त हो सकती थी और प्रदेश के लाखों किसानों को फायदा पहुंचा सकते है, लेकिन वे जानबूझकर ऐसा नहीं कर रहा है, ताकि मुआवजा न बांटना पड़ जाए। पटवारियों की हड़ताल से किसान से लेकर आम जन परेशान हो रहे है। पटवारी हड़ताल से तहसील कार्यालय के कामों के अलावा संबल योजना की रिपोर्ट नहीं लग रही है, जाति प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस प्रमाण, बंटवारा, नामांतरण सहित अनेक काम नहीं हो रहे है। पटवारियों की हड़ताल की वजह से आम जनता के सभी काम ठप्प पड़े हैं। शासन को जरूरी प्रमाण पत्र व पंचनामों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी थी पर वह भी नहीं कर पाया। कई प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों को पटवारी प्रमाण पत्र की आवश्यकता रहती है ऐसे में प्रमाण पत्र नही बनने से छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने कहा कि 26 सितंबर को सीएम शिवराजसिंह चौहान ने दिखावे के तौर पर पटवारियों के लिए घोषणा की थी,जिसे पटवारियों के प्रदेश संगठन ने घोषणा को नकार दिया और आंदोलन को लगातार जारी रखने की घोषणा कर दी। ऐसे में जनता की परेशानी लगातार बढ़ रही है।

अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में लग जाएगी आचार संहिता,धरे के धरे रह जाएंगे काम—कांग्रेस नेता

कांग्रेस नेता तरूण बाहेती ने कहा कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता अगले माह अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में लग सकती है। आचार संहिता लगने के बाद में चुनावी प्रक्रिया के काम में सभी कर्मचारी लग जाएंगे तो सारे रुके हुए काम धरे के धरे रह जाएंगे। फसल नुकसानी सर्वे,नामांतरण,बंटवारे सहित अन्य काम भी अटक जाएंगे। कई प्रमाण पत्रों एवं पंचनामों में पटवारी रिपोर्ट की आवश्यकता रहती है लेकिन आम जनता दर-दर भटक रही है। नीमच जिले के मंत्री और विधायकगण किसानों के दुख के समय में सिर्फ भाषणबाजी ही कर रहे है। भाजपा का एक विधायक ,नेता भी किसानों के खेतों में नहीं पहुंचा है। सरकार सिर्फ दिखावे के तौर पर किसानों की चिंता जाहिर करती है जबकि सभी को पता है की वर्तमान में फसलों में भारी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार अगर किसान हितेषी होती तो बिना सर्वे ही मुआवजा घोषित करती।

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