भारत सरकार की जीपीडब्ल्यूआईएस स्कीम के तहत उठाया गया यह कदम काम में तीव्रता लाएगा
रायपुर, अक्टूबर 2024: भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक वेदांता एल्यूमिनियम ने झारसुगुडा, ओडिशा और कोरबा, छत्तीसगढ़ स्थित अपने स्मेल्टरों में कोयला ले जाने हेतु लॉजिस्टिक्स सिस्टम में बोगी ओपन बॉटम रैपिड डिस्चार्ज रेलवे वैगन का इस्तेमाल शुरु कर दिया है जो न्यूमेटिक डोर ओपनिंग ऐक्चुएटर से युक्त हैं। यह पहल भारतीय रेल द्वारा आरंभ की गई जनरल परपज़ वैगन इन्वैस्टमेंट स्कीम के तहत की गई है और इससे प्रचालन दक्षता में वृद्धि होगी तथा सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों की पूर्ति की ओर कंपनी अग्रसर होगी।
बीओबीआरएन (BOBRN) किस्म के रेलवे वैगन बंदरगाहों से थर्मल पावर प्लांट तक कोयले की भारी मात्रा को पहुंचाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं। इनकी खासियत यह है कि कोयले को वैगन के निचले हिस्से से सीधे हॉपर पिट में अनलोड किया जा सकता है। इस तरह अनलोडिंग की प्रक्रिया में कुशलता व तेजी आती है तथा कोयले की डिलिवरी में लगने वाला समय घटता है और काम तेजी से पूरा होता है।
वेदांता एल्यूमिनियम झारसुगुडा में दुनिया के सबसे बड़े एल्यूमिनियम प्लांट तथा बाल्को, कोरबा में भारत के आईकॉनिक स्मेल्टर का प्रचालन करती है; इन दोनों को ही बिजली की निरंतर व भरोसेमंद आपूर्ति चाहिए होती है। इसलिए बीओबीआरएन (BOBRN) रेक के इस्तेमाल से कंपनी कोयले की आवाजाही में सुधार कर पाएगी, इससे कंपनी के प्रचालनों तक कोयले की स्थिर और कुशल आपूर्ति सुनिश्चित होगी। रेल परिवहन का लाभ लेकर कंपनी उत्पादन लागत को कम कर सकेगी और सप्लाई चेन का बेहतर इस्तेमाल होगा। इस कदम से वेदांता एल्यूमिनियम अपने कार्बन फुटप्रिंट में भी महत्वपूर्ण कमी ला सकेगी क्योंकि ट्रकों के बजाय रेल द्वारा कोयला ले जाने से प्रति टन बहुत कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है।
वर्तमान में वेदांता एल्यूमिनियम के सभी प्रचालनों में चार बीओबीआरएन (BOBRN) कैप्टिव कोल रेक का उपयोग हो रहा है और कंपनी की योजना है अतिरिक्त चार रेक जोड़ कर अपनी लॉजिस्टिक्स क्षमता का विस्तार करना। इस विस्तार से न केवल प्रचालन क्षमताओं में इजाफा होगा बल्कि सस्टेनेबल पद्धतियों के एकीकरण हेतु कंपनी की कोशिशों में भी योगदान हो पाएगा।
इस पहल पर वेदांता एल्यूमिनियम के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री सुनील गुप्ता ने कहा, ’’ बीओबीआरएन (BOBRN) रेक को शामिल करना हमारे प्रचालनों की प्रगति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह हमारे रेल कोऐफिशियेंट को सुधारेगा, टर्नअराउंड टाईम को घटाएगा और कोयला परिवहन को ज्यादा भरोसेमंद बनाने में मददगार होगा और साथ ही लागत एवं उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी लाएगा। हमें गर्व है कि हम देश में सस्टेनेबिलिटी एवं ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इस प्रकार प्रचालन उत्कृष्टता पर हम अपने फोकस को और अधिक बल प्रदान कर रहे हैं।’’
इस अहम उपलब्धि के बारे में बाल्को के सीईओ एवं डायरेक्टर श्री राजेश कुमार ने कहा, ’’हमारा यह कदम सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों पर टिके रहते हुए हमारी प्रचालन दक्षता बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को जाहिर करता है। 2050 तक नैट् ज़ीरो बनने की आरे बढ़ते हुए बीओबीआरएन (BOBRN) रेक की तैनाती पहले से ज्यादा मजबूत सप्लाई चेन स्थापित करने में बहुत उपयोग सिद्ध होगी।’’
अपने कार्बन फुटप्रिंट घटाने व ऑफसैट करने के लिए वेदांता एल्यूमिनियम ने दो-आयामी तरीका अपनाया है। इनमें शामिल हैं- अपने ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की तादाद बढ़ाना, संसाधनों का उपयोग बढ़ाने एवं कचरा घटाने के लिए विनिर्माण उत्कृष्टता में वृद्धि तथा बायो ईंधन जैसे न्यून कार्बन स्त्रोतों को अपनाना। कंपनी के स्मेल्टर एल्यूमिनियम स्टुवर्डशिप इनिशिएटिव परफॉरमेंस स्टैंडर्ड द्वारा प्रमाणित हैं जो कि दुनिया भर में सस्टेनेबल प्रचालन का मान्य संकेतक है।
वेदांता लिमिटेड की इकाई वेदांता एल्यूमिनियम भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक है। वित्तीय वर्ष 24 में 23.7 लाख टन उत्पादन के साथ कंपनी ने भारत के कुल एल्यूमिनियम का आधे से ज्यादा हिस्सा उत्पादित किया। यह मूल्य संवर्धित एल्यूमिनियम उत्पादों के मामले में अग्रणी है जिनका उपयोग कई अहम उद्योगों में किया जाता है। वेदांता एल्यूमिनियम को एल्यूमिनियम उद्योग में एस एंड पी ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असैसमेंट 2023 में पहली वैश्विक रैंकिंग मिली है, यह उपलब्धि कंपनी की सस्टेनेबल विकास प्रक्रियाओं को प्रतिबिम्बित करती है। भारत में अपने विश्वस्तरीय एल्यूमिनियम स्मेल्टर्स और एल्यूमिना रिफाइनरी के साथ कंपनी हरित भविष्य के लिए विभिन्न कार्यों में एल्यूमिनियम के प्रयोग को बढ़ावा देने और इसे ’भविष्य की धातु’ के रूप में पेश करने के अपने मिशन में लगातार आगे बढ़ रही है।