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भारत सरकार के मंत्रालय में भी जातिवाद चरम सीमा पर

कबीर मिशन समाचार, सूत्रों के हवाले से।

दिल्ली: देश में सरकार किसी की भी रही हो मगर जातिवाद हमेशा देश में हावी रहा है क्योंकि आज भी भारत सरकार के मंत्रालय में जातिवाद देखा जा सकता है। निर्मला सीतारमण जाति से ब्राह्मण हैं। 2014 से राज्यसभा मेंबर हैं। ये इलेक्शन जीत कर जनता के बीच से नहीं आई हैं फिर भी इनको सरकार के मंत्रालय दिया गया।

वर्ष 2017 में इनको रक्षा मंत्री बनाया गया उसके बाद वर्ष 2019 में इन्हें वित्त मंत्री बना दिया गया। दूसरी तरफ उमा भारती एक ओबीसी और जमीनी नेता रहैं जो 9वीं लोकसभा में पहली बार जीतकर पार्लियामेंट पहुँचती हैं। इसके बाद फिर से ये जनता के बीच से चुनकर आती हैं।

वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999 और 2014 में लोकसभा की सीट यानी कि जनता के बीच से जीतकर आती हैं पर इन्हें कभी भी महत्त्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिया गया जैसा कि निर्मला सीतारमण या फिर स्मृति ईरानी को दिया गया। उमा भारती जी को मिनिस्ट्री ऑफ़ ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन, मिनिस्ट्री ऑफ़ कोल्, मिनिस्ट्री ऑफ़ माइंस, मिनिस्ट्री ऑफ़ स्पोर्ट्स इसी तरह का मंत्रालय मिला।

यह लिखने का मेरा मकसद एक ही है, एक महिला ब्राह्मण है उसके पास कोई ज्ञान नहीं है पर उसे डिफेन्स और वित्त मंत्रालय जैसे पोर्टफोलियो दिए गए। एक महिला ओबीसी है, जो 5 बार लोकसभा जीती और मध्य प्रदेश की 15वीं मुख्यमंत्री भी रहीं पर उन्हें कभी भी महत्त्वपूर्ण मंत्रालय नहीं दिया गया। ओबीसी महिला लड़ाने की बात तो दूर है , पहले से जीत कर आई ओबीसी महिला के साथ भी बीजेपी ने भेदभाव किया हे।

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