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यदि संविधान बचाने संगठित नहीं हुए, तो तुम्हें मनुवादी अपना गुलाम बना लेंगे- विजय बौद्ध

संपादक दि बुद्धिस्ट टाइम्स भोपाल मध्य प्रदेश,

यह संविधान तीन-चार साल पहले बना हुआ है। इस पर मैंने आरएसएस के एक मध्य प्रदेश के प्रमुख और भैया जी जोशी कार्यवाहक संघ संचालक, के बहुत करीबी रिश्तेदार, हेमंत मुक्तिबोध भोपाल से मैं बात किया था। तब उसने कहा था, कि यह किसी की शरारत है। यह फर्जी तरीके से प्रकाशित किया गया है। और मुंबई महाराष्ट्र के आरएसएस प्रमुख ने इस बात का खंडन किया था। उन्होंने कहा था, कि आरएसएस को बदनाम किए जाने का किसी ने शरारत पूर्ण षड्यंत्र रचकर यह काम किया है। हमने कोई संविधान नया नहीं बनाया है। यदि हम इस बात को नहीं मानते हैं।

तो फिर सर कार्यवाहक सुरेश जोशी जिसे भैया जी कहते हैं, उन्होंने स्पष्ट रूप से सरेआम कहा है, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए वर्ण व्यवस्था को लागू करना और संविधान को बदलना हमारा मुख्य उद्देश्य है। तो सच क्या है जो नया संविधान बनकर तैयार है वह सच हैॽ या भैया जी जोशी की बात सच हैॽ यह विचारणीय है। वैसे आरएसएस के लोग मनुवादी सच कभी बोलते ही नहीं, उनका किसी भी तरह से विश्वास नहीं किया जा सकता। जिस दिन डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ने 26 नवंबर 1949 को संविधान बनाया था। राम राज्य परिषद और हिंदू महासभा ने कड़ा विरोध किया था।

11 दिसंबर 1949 को दिल्ली में धरना प्रदर्शन किया था। और संविधान के विरोध में डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर के आरएसएस ने देशभर में पुतले जलाए थे। उनका कहना था, कि मनुस्मृति के रहते हुए दूसरे संविधान की क्या आवश्यकता हैॽ वे अपने ग्रंथ मनुस्मृति को ही देश का संविधान और दुनिया का सबसे अच्छा संविधान मानते हैं।

वे डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को मानते ही नहीं। इसी कारण जब अटल बिहारी वाजपेई की सरकार 1996 में आई तो उन्होंने पहले षड्यंत्र संविधान समीक्षा के आड़ में संविधान बदलने की साजिश रची थी। परंतु तत्कालीन राष्ट्रपति अंबेडकरवादी विचारक के एन नारायण ने इसका कड़ा विरोध कर उनके मंसूबे को सफल होने नहीं दिया था। उसके बाद 2014 से देश अघोषित इमरजेंसी आपातकाल में चल रहा है। हिंदू धर्म संसद, हिंदू महासभा, ब्राह्मण महासभा आरएसएस के लोग साधु संत और तथाकथित हिंदू धर्म के ब्राह्मण शंकराचार्य,, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को गया गुजरा बताते हैं।

और संविधान बदलने की, देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की पूर्व जोर अपील कर संघर्ष जारी है। अभी हाल में ही प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार ने सरेआम डॉक्टर अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को विदेशी करार देकर उसे बदलने की वकालत कर दी है। उसने ऐसे ही हवा में बात नहीं की होगी। यह वर्षों से जो आरएसएस मनुवादी ब्राह्मणों के मन में जो तड़प है, वह तड़प, जो डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ने 1927 में ब्राह्मणों का धार्मिक पवित्र ग्रंथ मनुस्मृति को जलाया था। इस तड़प के तहत आरएसएस मनुवादी ब्राह्मण डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर के द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को जलाने का भी प्रयास किया है।

और जलाया गया है। देश की संसद के सामने भारत के संविधान की प्रतिया, संविधान जलाया गया। आरएसएस हिटलर और मुसोलिन के विचारधारा के व्यक्ति है। नरेंद्र मोदी उनका मुखौटा है। वे प्रजातंत्र पर विश्वास नहीं करते। वे संविधान पर विश्वास नहीं करते। तानाशाह शासन चलाना चाहते हैं। हाल ही में भारत की नई संसद का उद्घाटन हुआ। उस संसद में दक्षिण भारत के ब्राह्मण पुजारी को बुलाकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजदंड जो राजतंत्र का प्रतीक है। वह सौंपा गया। पूरे वैदिक पद्धति के तहत पूजा पाठ कर्मकांड करके भारत के लोकतंत्र के मंदिर संसद का उद्घाटन किया गया है। वे अपना काम कर रहे हैं।

वह अपना मिशन चला रहे हैं। वे अपना आंदोलन चला रहे। और हम और हमारे नेता अपना मिशन अपना आंदोलन खत्म कर उन्हें मनुवादियों के गोद में बैठकर उनके तलवे चाट रहे हैं। समाज की दलाली कर रहे हैं। समाज के साथ गद्दारी कर रहे हैं। समाज को गुलामी की ओर धकेलना का पाप कर रहे हैं। आने वाले पीढ़ी के साथ गद्दारी कर रहे हैं। कितने लोग संविधान बदलने की बात पर आक्रोश जता रहे हैं ॽ कितने लोगों को संविधान बदलने की फिक्र है ॽ कितने लोग संविधान बदलने के साजिश के खिलाफ संघर्ष आंदोलन का शंखनाद कर रहे हैं ॽ किया है ॽ

हमारे समाज के लोग और नेता शरीर से जिंदा दिखाई देते हैं, मगर उनके सोचने के तरीके का अगर गहन अध्ययन किया जाए तो ऐसा नहीं लगता कि वे जिंदा हैं, मेरे समाज के लोग और नेता, जिंदा लाश की तरह है। भारत का इतिहास, और कुछ नहीं, ब्राह्मणों और बौद्धौ के बीच का संघर्ष है। मनुस्मृति को रचने का उद्देश्य बुद्धिस्म के विनाश को उचित ठहरा कर उसके स्थान पर ब्राह्मणवाद को स्थापित करना था। बौद्ध सम्राट बृहदसथ का ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा हत्या के बाद ब्राह्मणी शासन कायम किया गया। इसी ब्राह्मणी शासन को स्थिरता प्रदान करने के लिए मनुस्मृति और गीता जैसे ग्रंथों की रचना की गई है। 26 जनवरी 1950 से भारत में अंबेडकरवाद की स्थापना हुई है।

तब से ब्राह्मणवादी मनुवादी,, डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर के द्वारा निर्मित भारतीय संविधान, उनके विचारों उनके मिशन उनके कारवां को खत्म कर, मनुस्मृति स्थापित किए जाने के लिए एड़ी चोटी एक कर रही है। और हमारे नेता और समाज के कई गद्दार उनके इस षड्यंत्र मिशन में शामिल है। इस मिशन में महाराष्ट्र के रिपब्लिकन पार्टी आप इंडिया के तथाकथित नेता रामदास अठावले, रामविलास पासवान और उदित राज जैसे अवसरवादी एवं मायावती शामिल है।

और कुछ तथागत अंबेडकरवादी नेता वह भी आरएसएस मनुवाद की जड़े मजबूत करने का अंदरुनी वर्षों से कम कर रहे हैं। और उन्हीं की मेहरबानी पद प्रतिष्ठा धन के बदौलत जी रहे हैं। ऐसे हालात और गंभीर परिस्थितियों में हम बाबा साहब अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान को कैसे बचा सकते हैंॽ कैसे उसकी रक्षा कर सकते हैंॽ यह हमारे सामने बड़ी जलंत समस्या है ॽ यदि इस ग्रुप में अंबेडकरवादी विचारधारा के लोग हैं। तो वह संविधान की रक्षा कैसे की जाए, संविधान को कैसे बचाया जाएॽ इस पर अधिक चिंतन करें। और चिंतन तो यह होना चाहिए की डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर का जो मूल मंत्र था। संगठित रहो और संघर्ष करो।

तो इसकी पहल स्वयं को बुद्धिजीवी और अंबेडकरवादी समझने वालों को करना चाहिए। मैं पूरा प्रयास कर रहा हूं। रात दिन चिंतित हूं। और बड़े आक्रोश में हूं। मेरा समाज और नेता डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के रहमो करम से प्राप्त पद प्रतिष्ठा धन के नशे में चूर, गहरी नींद में सोए हुए हैं। उन्हें जरा सा भी अंदाजा नहीं है। कि जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, जो लोग देश में चला रहे, वे कितने घातक और खतरनाक है। ऐसे ऐसे खतरनाक और घातक फासीवादी लोगों को रोकने के लिए हमें एकजुट होना चाहिए। यदि हम एक जुट होकर इनको रोकने में 2024 में सफल नहीं हुए।

तो यह लोग हमें हमेशा हमेशा के लिए गुलाम बना देंगे। यदि मान सम्मान स्वाभिमान की जिंदगी जीना चाहते हो, तो जाग जाओ, संगठित हो जाओ, अन्यथा फिर कभी जागने का और संगठित होने का वक्त भी नहीं मिलेगा। वर्तमान देश के हालत अत्यंत भयानक और खतरनाक है। देश विनाश के कगार पर खड़ा हुआ है। देश का लोकतंत्र और भारत का संविधान खतरे में है। पूरा बहुजन समाज अल्पसंख्यक पिछड़ा वर्ग समाज खतरे में है। उनकी आजादी खतरे में है। 2014 से देश फिर से मनुवादियों का गुलाम हो गया है।

यदि आजादी की दूसरी जंग लड़ाई लड़ना चाहते हो, फासीवादी ताकतों को रोकना चाहते हो तो, संगठित हो जाओ, और संघर्ष जारी रखो। हमने अंबेडकराइट्स राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस एक्शन कमेटी ऑफ इंडिया के तहत, देश के बुद्धिजीवी अंबेडकर वादियों की एक ऐतिहासिक बैठक दिल्ली में 25 सितंबर 2022 को आहुत किया था। उस बैठक में निर्णय लिया गया था, कि समूचे देश के बुद्धिजीवी अंबेडकरवादियों एवं समाज के नेताओं को एक मंच पर लाए जाने तथा 2024 में नरेंद्र मोदी बीजेपी आरएसएस फासीवादी ताकतों को रोकने कोई एक ऐतिहासिक निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस आयोजित किए जाने के लिए मैं और हमारी टीम सतत प्रयासरत है। परंतु आर्थिक अभाव के कारण समय विलंब हो रहा है।

हमने देश के कई स्वयंभू अंबेडकरवादी और बुद्धिजीवियों से राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने के लिए आर्थिक सहयोग की मांग की थी। लेकिन कुछ लोगों को छोड़कर अधिकांश लोगों ने जो अंबेडकरवादी होने का दम भरते आ रहे हैं, उन्होंने ₹1 भी देना पसंद नहीं किया। इस कारण हम राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस अभी तक आयोजित करने में सफल नहीं हो सके।

राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस क्यों लेना चाहते हैं ॽ क्योंकि डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ने भी 1932 में देश की आजादी की लड़ाई लंदन में आयोजित राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में ही लड़ी थी। अब दूसरी आजादी की जंग लड़ाई हम राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ही लड़ना चाहते हैं। इसलिए राउंड टेबल कांफ्रेंस दिल्ली में आयोजित करना चाहते हैं। इसका मकसद है, अपने समाज के नेता और समाज को एक मंच पर लाना और 2024 में नरेंद्र मोदी सरकार आरएसएस को रोकना।

यदि यह मेरा कोई आर्टिकल पड़ता है। या पड़ेगा, तो वह इस राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में क्या मार्गदर्शन क्या आर्थिक सहयोग कर सकता हैॽ वह अपनी बात अपने विचार रखेगा। मात्र संविधान बदल रहा है। संविधान बदल रहा है। यह बोलने से नहीं होगा। संविधान बचाने की लड़ाई लड़ना पड़ेगा। और प्रतिज्ञा लेना पड़ेगा, कि मेरे शरीर में जब तक खून का अंतिम दौर रहेगा। तब तक मैं डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान की रक्षा के लिए लडूंगा। जय भीम जय संविधान,,

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