कबीर मिशन समाचार ।
राजकुमार 7089513598
एक तरफ भारत जैसे देश जिसमे रहकर भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमाओ का खंडन किया जाता है, वही दूसरी ओर भारत के बाहर अन्य देशो मे ऐसे महामानव को पूजा जा रहा है। धम्म चक्र परिवर्तन दिवस के अवसर पर अमेरिका जैसे विकसित देश मे सबसे बड़ी 19 फ़ीट ऊँची प्रतिमा का अनावरण किया गया, व अमारोह मे जय भीम के जोरो से नारे लगाए।
Statue Of Equality: अमेरिका में डॉ. भीमराव अंबेडकर की सबसे बड़ी प्रतिमा का हुआ अनावरण, समारोह में लगे जय भीम के नारे
भारत के बाहर भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की सबसे बड़ी प्रतिमा का औपचारिक रूप से अनावरण अमेरिका के मैरीलैंड शहर में किया गया। 19 फीट ऊंची इस स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी (Statue of Equality) के अनावरण समारोह में अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से 500 से अधिक भारतीय-अमेरिकी, भारत और अन्य देशों के कई लोग शामिल हुए। इस दौरान वहां मौजूद सभी लोगों ने जय भीम के नारे भी लगाए। स्टेचू का नाम Statue of Equality अर्थात समानता का प्रतीक रखा गया।
मूर्तिकार राम सुतार ने बनाई प्रतिमा….
मालूम हो कि इस 19 फीट प्रतिमा को सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने वाले प्रसिद्ध कलाकार और मूर्तिकार राम सुतार ने बनाई है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को गुजरात में सरदार सरोवर बांध के नीचे की ओर नर्मदा में एक द्वीप पर स्थापित किया गया है। स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी के अनावरण समारोह में शामिल होने आए प्रतिभागियों का भारी बारिश और बूंदाबांदी के बाद भी उत्साह कम नहीं हुआ। वहीं, कई लोगों ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए करीब 10 घंटे तक की लंबी यात्रा की।
भारतीय-अमेरिकियों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
प्रतिमा के अनावरण समारोह के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से आए भारतीय-अमेरिकियों ने वहां कई तरह की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दीं। वहीं, इस प्रतिमा के अनावरण के समारोह में शामिल दिलीप म्हास्के ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी 1.4 अरब भारतीयों और 4.5 मिलियन भारतीय अमेरिकियों का प्रतिनिधित्व करेगी। मालूम हो कि दिलीप म्हास्के अमेरिका में अंबेडकरवादी आंदोलन का नेतृत्व करते हैं।
14 अक्टूबर क्यों है खास?
मालूम हो कि स्वतंत्र भारत में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में डॉ अम्बेडकर को कानून और न्याय मंत्री बनाया गया था। वहीं, उन्होंने 14 अक्टूबर, 1956 को अपने समर्थकों के साथ उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। उनके बौद्ध धर्म अपनाने की तारिख और मैरीलैंड में प्रतिमा का अनावरण की तारीख दोनों एक दूसरे से मेल खाती है।