खरगोन देश-विदेश मध्यप्रदेश स्वास्थ

खरगोन। विधिक सेवा ने की मानव सेवा, दिव्यांग बालिका कों लगवाए जयपुर फुट।

कबीर मिशन समाचार खरगोन जिला ब्यूरो विशाल भमोरिया।

क़ानून के सहारे कदम बढ़ाती कन्या गणगौर पर मिला दिव्यांग कों माताजी का आशीर्वाद

मंडलेश्वर। संघर्ष में अगर कोई सहयोगी मिल जाए तो संघर्ष का सफर भी मंजिल तक पहुंच ही जाता हैं। ऐसे ही एक दिव्यांग बालिका के जीवन में चल रहे कड़े संघर्ष कों विधिक सेवा द्वारा अपने प्रयास से सुगम कर बालिका के जीवन में नई खुशियाँ भर दी। वसुधा विद्या विहार करही में पढ़ने वाली ग्राम वणी की दिव्यांग बालिका ममता टटवारे के चारो हाथ पैर गल गये हैं हाथ कोहनी तक पैर घुटनो से नीचे तक नहीं हैं वो एक निजी स्कूल में पढ़ती हैं।

दोनों हाथों की कोहनी से पेन पकडकर सुंदर अक्षर लिखने वाली ममता कों सहारे की जरूरत रहती हैं। जिला विधिक सेवा ने दिया सहारा।

जिला कोर्ट मंडलेश्वर स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पी एल वी श्रीमति मैरी जोजू ने सबसे पहले दिव्यांग ममता की जानकारी सचिव जिला न्यायाधीश नरेंद्र पटेल कों दी उसके बाद बालिका व उसके परिजनों कों विधिक सेवा में लाकर सचिव से मिलवाया गया।

सचिव नरेंद्र पटेल ने अध्यक्ष एवं प्रधान जिला न्यायाधीश डी के नागले से मार्गदर्शन लेकर बालिका के लिए कृत्रिम पैर बनाने वाली संस्था श्री भगवान महावीर विकलांग सेवा समिति जयपुर फुट अरिहंत हॉस्पिटल इंदौर सम्पर्क किया सचिव के प्रयास से ममता के लिए व्यस्तता के बावजूद समिति और हॉस्पिटल ने समय दिया।

गण गौर उत्सव के पहले दिन पैरालीगल वालेंटियर दुर्गेश कुमार राजदीप और जोजू एम आर दिव्यांग बालिका कों ग्राम वणी से इंदौर लेकर पहुंचे जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सक ने ममता का परीक्षण कर जयपुर फुट लगाने का परामर्श दिया। श्री भगवान महावीर सेवा समिति के सेवाभावी सुपरवाइजर अशोक कुमार और तकनीशियन कल्पेश पाटील ने व्यस्तता के बाद भी मात्र चार घंटे में बालिका कों जयपुर फुट लगाकर चला दिया ।

बचपन में ही हो गईं थी विकलांग ग्राम वणी के एक गरीब मजदूर परिवार की इकलौती संतान ममता मात्र छह माह की थी तब से उसे एक लाइलाज बीमारी कंजेनिटल एनामली हो गईं थी इस बीमारी में हाथ पैर गल जाते हैं। ममता वर्तमान में वसुधा विहार हाय स्कूल में कक्षा 10 वी की छात्रा हैं ममता ने हाय स्कूल बोर्ड की परीक्षा दी हैं। मां का सहारा लेकर चली ममता बच्चा ज़ब नौ दस माह का होता हैं।

तब वह अपनी मां का सहारा लेकर चलता हैं। ममता वर्तमान में लगभग 20 साल की हैं। सरकारी स्कूल में कक्षा तीसरी पढ़ने वाली ममता कों निजी स्कूल वसुधा विद्या विहार ने निशुल्क शिक्षा के लिए अपने स्कूल में क्लास केजी से भर्ती किया इसलिय ममता अन्य बच्चों से उम्र में बड़ी हैं।

ममता कों ज़ब कृत्रिम जयपुर पैर लगाया और उसे पकडकर बच्चे की तरह चलाया तो ममता की ख़ुशी देखते ही बनी ममता की माँ ने भी उसे सहारा देकर चलाया। जयपुर फुट के सुपरवाइजर अशोक कुमार के अनुसार 15 -20 दिन के प्रयास के बाद ममता चलने लगेगी उसके बाद उसके दो हाथ भी बनाए जायेंगे।

About The Author

Related posts