राजगढ़

पचोर। चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर पुरानी पचोर स्थित नव कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न

पचोर/ राजगढ़ कबीर मिशन समाचार जिला संवाददाता विष्णु प्रसाद भिलाला

ब्रह्माकुमारी बहनों को आमंत्रित किया गया। जिसमें ब्रह्माकुमारी वैशाली दीदी ने वक्तव्य देते हुए कहा कि रात्रि दो प्रकार की होती है, एक शिवरात्रि दूसरा नवरात्रि जब धरती पर पाप बड़ता है ,धर्म ग्लानि का समय होता है तब परमात्मा इस सृष्टि पर अवतरित होते हैं ,उनके दिव्यअवतरण को ही शिवरात्रि कहा जाता है । परमात्मा जिस तन का आधार लेते हैं उनका नाम ब्रह्मा रखा जाता है ब्रह्मा के मुख से परमात्मा की वाणी को सर्वप्रथम श्रवण करने वाली देवी को मां सरस्वती कहा जाता है।

इसलिए परमात्मा शिव ने ज्ञान का कलश माताओं बहनों के ऊपर रखा है वो समय अभी ही चल रहा है। ब्रह्मा के मुख से ज्ञान का श्रवण करने वाली ब्रह्माकुमारी बहने इस संसार में ज्ञान की ज्योति जगा रही है और अज्ञान अंधकार को मिटा रही है।इस ज्ञान को धारण करने से नारी लक्ष्मी स्वरूपा बन जाती है इसकी ही यादगार में 9 दिन तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शिव द्वारा प्राप्त शक्तियों को धारण करने से ही नारी देवी स्वरूपा बन जाती है जितनी भी देवियां है।

वह शक्तियों का प्रतीक है मां उमा उमंग उत्साह भरने वाली, मां संतोषी संतोष प्रदान करने वाली, मां दुर्गा दुर्गुणों का नाश करने वाली, मां अन्नपूर्णा भंडारे भरपूर करने वाली, मां शीतला मन को शीतल करने वाली , मां गायत्री सर्व मनोकामना पूरी करने वाली है। अतः आज के दिन हम एक संकल्प लें जितनी भी देवियां है शक्तियों का प्रतीक है इसलिए कोई ना कोई शक्ति को आज हम धारण करें।ब्रह्मा कुमारी वैशाली दीदी ने पंडित रामबाबू नामदेव जी को तथा मुकेश नामदेव जी को ईश्वरीय प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

About The Author

Related posts