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भोपाल। मुख्यमंत्री के ग्रह जिले के गांवों की शिक्षा व्यवस्था बेहाल और बच्चों का भविष्य अंधेरे में। स्कूल में बंधी बकरियां

कबीर मिशन संवादाता मुकेश जामरे की रिपोर्ट जिला सीहोर।

“हर घर शिक्षा घर-घर शिक्षा”

अभियान के तहत “जय आदिवासी युवा शक्ति” जयस सीहोर के युवाओ ग्राम अध्यक्ष जसवंत बारेला,महेश बारेला जी की टीम द्वारा शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों और सरकार को जगाने का अहम फैसला लेते हुए माननीय मुख्यमंत्री के गृह जिले की शिक्षा व्यवस्था को लेकर लागू की गई योजनाओं की जमीनी हकीकत को जनता के सामने लाने के लिए इस अभियान की पहल की,एक छोटी सी झलक।आज जयस खजूरी युवाओं की टीम और ग्रामवासियों के द्वारा खजूरी गांव के सभी स्कूलो का दौरा किया गया।

जिसमें उन्होंने स्कूलो की दयनीय स्थिति और बहुत सारी कमियों को पाया जिसमे ….01- स्कुलों में शिक्षको का स्कूल आने -जाने का कोई समय नहीं है कभी आते हैं तो कभी आते भी नहीं है और आते हैं तो दिन में ही चले जाते हैं। 02- शिक्षा के मंदिर में छात्रों की कक्षाएं न लगकर यहां मवेशियों को बांधा जा रहा है । 03- नियमित रूप से कक्षाओं का बिल्कुल भी संचालन नहीं किया जा रहा है जिससे बच्चों का भविष्य अंधेरे की ओर बढ़ रहा है। 04- स्कूलो में बच्चों के लिए शौचालय की व्यवस्था तर बतर हो चुकी है साफ सफाई का नामोनिशान नहीं है जिससे बच्चों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

05- जिस कक्षा में पढ़ते है उसी में हाथ धोने के नल है जिससे पानी इधर उधर फेल जाता है जिससे कक्षा में गंदगी और अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। 06- मध्यांह भोजन के अंतर्गत मिलने वाला भोजन भी नियमित मेन्यू के अनुसार नहीं मिलता है और मिलता भी है तो भोजन में पोषक तत्वों की गुणवत्ता नहीं होती है और किचन शेड जहां भोजन बनता है उसकी तो बहुत बुरी हालत हो चुकी है उसके गेटों में भी जंग लग चुकी है और टुटकर अलग हो चुके हैं। 07 बालिकाओं के लिए विशेष शोचालय की कोई व्यवस्था नहीं है।‌‌ 08 स्कूलो में बच्चों के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। 09 बैठने के लिए टाट पट्टी जैसी सुविधाएं भी गायब है।

ये हैं मुख्यमंत्री जी के ग्रह जिले की शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक स्थिति जहां बच्चों के भविष्य के साथ सरासर खिलवाड़ किया जा रहा है जहां शिक्षक तो गायब रहते ही हैं साथ ही साथ स्कूलो में बच्चों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है शौचालय है तो उपयोग करने लायक नहीं है पानी पीने के लिए बच्चों को कई दूर का फासला तय करना पड़ता है भोजन पकाने का किचन शेड जर्जर हो चुका है स्कूल की हालत गंभीर है सोचने की बात है कि

स्कूलों की मरम्मत के लिए शासन से करोड़ों रुपए आता है।

वो जाता कहां है क्या उसको आसमान हजम कर लेता है या जमीन निगल जाती है और तो और यहां तो कर्मचारीयों को भी कोई खोफ नहीं है।बड़ी विडंबना और सोचनीय विषय है कि अगर मुख्यमंत्री के ग्रह जिले में ही शिक्षा व्यवस्था को तार तार किया जा रहा है तो अन्य जिलों की क्या हालत होगी। ग्रामवासियों ने कर्मचारियों और प्रशासन से अपील की है कि इस शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देकर अव्यवस्था को निपटाने के लिए मामले को संज्ञान में ले और जल्दी से जल्दी मामले का निराकरण करें।

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