मुरैना/जौरा। मामला है जौरा तहसील का यहां के नायव तहसीलदार हरिओम पचौरी बिना पैसे लिए कोई काम नहीं करते इतना ही नहीं वह कभी भी तहसील कार्यालय में नहीं मिलते है,मामला है ग्राम पंचायत पचोखरा का वहां सियाराम सोलंकी द्वारा लगभग 6 माह से दो नामांतरण के आवेदन लोक सेवा केन्द्र जोरा से आवेदन किये थे जिसमें से 2 प्रकरण नायब तहसीलदार हरिओम पचौरी द्वारा निरस्त कर दिए गये है।
इतना ही नहीं इसके बाद जब आवेदक ने तहसीलदार से नामातंरण के आदेश के वारे में पूछा तो उहोंने कहा कि मुझे जानकारी नही है किस वजह से निरस्त हुये है।मुझे फिर से अपने दस्तावेज प्राप्त करा दो में दिखवा दूँगा । इस विषय मे मीडिया से चर्चा करते हुऐ कहा कि नायब तहसीलदार हरिओम पचौरी का कहना है कि मेरे संज्ञान में नहीं है।
इस प्रकरण में जवाब देने से भी इनकार किया उन्होंने कहा कि नामातंरण के आवेदन फिर मुझे प्राप्त करा दो और विक्रेता क्रेता को मेरे यहां पर पेश किया जाए। आपको बता दें इतना ही नहीं बल्कि हरिओम पचौरी द्वारा पैसा लेने के बाद नामांतरण का समय सीमा के अवधि पर निराकरण कर दिया जाता है अगर पैसा नहीं मिलता है तो फाइल का प्रकरण को अनुपस्थिति में निरस्त कर दिया जाता है।
और फिर से जब फाइल लगाते हैं तो जुर्माने की बात बता कर चालान भरवाने की फिराक में रिश्वत लेते हैंआवेदक के भतीजे देवेंद्र बड़ेरिया ने बताया कि मैं पिछले लगभग 4 माह से चक्कर काट रहा हूं तो ना ही मुझे नायब तहसीलदार मिलते हैं और ना ही मुझे उनके बाबू मिलते हैं हरदम ऑफिस खाली रहता है।
. आदेश प्राप्त करें: जोरा के ग्राम पचोखरा का नामाप्राण लोक सेवा से बाद में भी रिजेक्ट कर दिया जाएगा
और पैसे की मांग की गई और इतना ही नहीं कहा गया कि लोक सेवा से आवेदन डालोगे तो फिर से निरस्त कर देगे ।इस मामले की जानकारी आवेदक के भतीजे देवेन्द्र बढेरिया ने बताई यह जाँच का विषय है वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जाँच पड़ताल होने के वाद ही इस मामले की पुष्टि होगी।