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रक्षक बने भक्षक – अपने ही पुलिस विभाग के सब इंस्पेक्टर अमर सिंह सीआईडी को जालसाज कर किया परेशान :सांसद सदस्य दिग्विजय सिंह ने जांच के लिए लिखा पत्र

मूलचन्द मेधोनिया, कबीर मिशन समाचार, भोपाल

भोपाल। माननीय न्यायालय श्रीमती अश्विनी सिंह न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी भोपाल द्वारा सुदर्शन नामक कुख्यात बदमाश वाहन चोरी एवं रजनीकांत शुक्ला डीएसपी सेवानिवृत्त के विरुद्ध मानहानि आदेश दिनांक 11/01/1023 को जारी किए गए। रजनीकांत शुक्ला ने सुदर्शन नामक व्यक्ति को माध्यम बनाकर अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सहयोग से अनुसूचित जाति के उपनिरीक्षक अमर सिंह को सन 206 में बगैर लोकायुक्त के नकली नोटों की गड्डी तैयार कर मनगढ़ंत झूठे भ्रष्टाचार के प्रकरण में षड्यंत्र पूर्वक फंसाने व अकारण परेशान करने के उद्देश्य से अमर सिंह को फंसाया गया था।

ताकि अनुसूचित जाति का व्यक्ति नौकरी से हट जाये। तथा भूखों मरने की नौबत आ जाये। झूठा मुकदमा दर्ज किया गया जो कि माननीय न्यायालय में गया जहाँ पर सुनवाई के दौरान अमर सिंह को माननीय न्यायालय ने दोष मुक्त कर दिया गया। तथा धोखा से फंसाने वालों के खिलाफ मानहानि का आदेश दिया गया। एक ईमानदार रक्षक के साथ जातिगत सोच के आधार पर एवं सामंतवादी सोच रखने वाले कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा अमर सिंह को लगातार शारीरिक, मानसिक और आर्थिक पीड़ा देकर परेशान किया जा रहा है। अपने न्याय के लिए दर – दर भटकना पड़ रहा है। इनके पास सभी सबूत होने के बाद भी न्याय नही मिल रहा है।

संत रविदास कल्याण फाउंडेशन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश नंदमेहर ने माननीय सांसद सदस्य श्री दिग्विजय सिंह जी को पत्र लिखकर अमर सिंह के प्रकरण पर कार्यवाही कराने का अनुरोध किया है। जिस प्रकरण को श्री दिग्विजय सिंह ने गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिदेशक मुख्यालय भोपाल को पत्र लिखकर मांग की है कि वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा इस प्रकरण की जांच कराई जाए।

साथ ही आवश्यक कार्यवाही का उल्लेख किया है। मध्यप्रदेश में ऐसा झूठा प्रकरण बनाये जाना निहायत ही शर्मनाक है, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्गों के बुद्धिजीवियों और इनके सामाजिक संगठनों में काफी नाराजगी जाहिर की जा रही है। तथा शासन /प्रशासन से मांग की जा रही है कि एक अनुसूचित जाति के पुलिस सब इंस्पेक्टर को जातिगत भेदभाव के आधार पर प्रताड़ित किया गया है। वहीं उनकी सामाजिक व व्यक्तिगत रूप से मानहानि की गई है।

जो कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम सन 1998 के तहत अपराध माना गया है कि किसी लोकसेवक के द्वारा अनुसूचित जाति के अधिनिष्ट कर्मचारी को यदि तंग करने या उसे नीचा दिखाने की मंशा से कोई क्रत्य किया गया है तो वह अन्य धाराओं के साथ ही एटोृसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज होने का प्रावधान है।अब देखना होगा कि अमर सिंह के लिए कब और कहां से न्याय मिलेगा। जबकि वह बेगुनाह है, ईमानदार है और जानबूझकर जिन पुलिस अधिकारियों ने उन पर गहरी चाल चलके परेशान किया है। उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही होगा अपने न्याय के लिए और कितना अमर सिंह को भटकना होगा।

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