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हिंदू राष्ट्र की रट लगाने वाले कब करेंगे गोवंश की रक्षा, धरती हो रही गोवंश के रक्त से लाल।

कबीर मिशन समाचार
पवन मेहरा

कुछ दिनों से लगातार सरकार में बैठे बड़े बड़े नेता, धर्म गुरु, हिंदू संगठन, गो सेवक, जैसे संगठन हिंदू राष्ट्र की रट लगा रहे हैं। लेकिन शायद हिंदू होने का दावा करने वाले नेता धर्मगुरु गायों को बचाने में क्यों ना काम हो रहे हैं। आज गायों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है, जहां देखो वहां गो वंश चारा पानी की तलाश में आवारा घूमते रहते हैं। असहाय गोवंश पर शासन प्रशासन का भी कोई ध्यान नहीं है। बरसात के कारण सूखी जगह की तलाश में अधिकतर गोवंश नेशनल हाईवे या रोड पर दुर्घटना का शिकार हो रही है। जिसपर ना तो नेता ध्यान दे रहे ना ही कोई धर्म गुरु , शासन प्रशासन द्वारा जो गौशाला संचालित की जा रही है.

उन पर भी प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है सरकार द्वारा जो 1962 एंबुलेंस चलाई जा रही है 1962 एंबुलेंस के कार्य को देखते हुए लगता है कि ये मात्र हमारे द्वारा दिए टैक्स के पैसों का दुरुपयोग ही कर रहे है इस से ज्यादा कुछ नहीं। एंबुलेंस में ना तो कोई गाय छोड़ने की व्यवस्था है.

किसी गौशाला में 10 से 15 बार फोन लगाओ तब जाके बड़ी मुश्किल से एंबुलेंस के लिए फोन लगता है उसके बाद भी एंबुलेंस समय से नहीं पहुंचती यदि कहीं पहुंच भी जाती हैं तो मात्र गाय का उपचार कर के उनकी जवाबदारी को पूर्ण मानते हैं मात्र दो इंजेक्शन लगाने से गाय बच जाएगी यह संभव नहीं है रोड पर गाय का एक्सीडेंट हुआ एंबुलेंस जाके उपचार कर देगी लेकिन वह गाय अगर चलने फिरने में समर्थन है तो उसके खाने पीने की क्या व्यवस्था है उसे सुरक्षित स्थान पर कैसे भेजा जाए ऐसी एंबुलेंस में कोई व्यवस्था नहीं वहीं शाम को 5:00 बजे के बाद एंबुलेंस की सेवा बंद हो जाती है।


वहीं दूसरी ओर पशु चिकित्सालय डॉक्टर से बात की जाती है तो उनके पास हमेशा एक ही जवाब होता है स्टाफ की कमी जब अतिथि शिक्षक हो सकते हैं तो अतिथि डॉक्टर क्यों नहीं शासन प्रशासन को कड़े नियम कानून बनाकर इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाना चाहिए
शासन प्रशासन के साथ-साथ बजरंग दल, गो सेवा संगठन, धर्मगुरु से भी निवेदन करता हूं कि एक परिवार एक गाय सभी रखें जिससे इस प्रकार की घटनाएं घटित ना हो क्योंकि छोड़कर भागने वाले भी हम है जिस गो माता के अंदर 33 कोटि देवता वास करते है जिस माता का हमने दूध पिया है हम सभी पर उस दूध का ऋण है। तो क्या हम उसे रोड पर मारता हुआ देखते रहे। क्या यही हमारा गो प्रेम है?

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