मध्यप्रदेश मुरैना

पोरसा।लालपुरा गांव में सालों बाद हो रहा मुक्तिधाम का निर्माण वह भी इतना घटिया कि ईंट हाथ में लेते ही टूट रही ग्रामीणों ने की शिकायत

मुरैना/पोरसा। जनपद पंचायत पोरसा की लालपुरा पंचायत में सालों बाद मुक्तिधाम का कायाकल्प किया जा रहा है, लेकिन यह कायाकल्प महज नाममात्र के ही किया जा रहा है। इसकी वजह है कि इसका निर्माण बेहद घटिया स्तर का कराया जा रहा है जो कुछ दिन ही टिक पाएगा। इस संबंध में ग्रामीणों ने भी शिकायत की है। लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे है। खासबात यह है कि यहां प्रतिबंधित चंबल रेत तक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

वहीं इतनी घटिया स्तर की ईंट का इस्तेमाल निर्माण में किया जा रहा है कि यह हाथ में उठाते ही टूट रही है। इसके बावजूद इस ओर जिम्मेदार ध्यान देने को तैयार नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि लालपुरा पंचायत में एक मुक्तिधाम जरूर बना हुआ था।लेकिन इसके टीनशेड तक जर्जर हो चुके थे।ग्रामीण सालों से अव्यवस्थाओं के बीच ही अंतिम संस्कार करने को मजबूर थे।

जिस पर मुक्तिधाम के निर्माण की सालों से ग्रामीण मांग उठा रहे थे। इसके बाद पंचायत ने लगभग 15 दिन पहले यहां निर्माण कार्य शुरू कराया है। जिसमें इसकी बाउंड्री व अन्य व्यवस्थाएं जुटाई जानी है। लेकिन ठेकदार ने इस निर्माण में अनियमितता बरत रहा है। आलम यह है कि मुक्तिधाम की बाउंड्री के लिए इतनी घटिया ईंट का इस्तेमाल किया जा रहा है कि यह हाथ में पकड़ने से ही टूट रही है। बेहद हल्के स्तर की इसमें ईंट लगाई जा रही है।

इसके साथ ही बाउंड्री के पिलरों का निर्माण हो रहा है।जिसमें हालत यह है कि न तो पर्याप्त सीमेंट लगाई जा रही है। वहीं चंबल के प्रतिबंधित रेत का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस संबंध में ग्रामीण लगातार शिकायतें भी कर रहे है। जिसमें ग्रामीण ब्रजेश शर्मा ने बताया कि यहां बेहद घटिया ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

इसकी शिकायत सरपंच व ठेकेदार दोनों से हमने की लेकिन कोई सुनवाई नहीं की। बल्कि ठेकेदार उलट धमकी और दे रहा है। चंबल रेत का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके घटिया निर्माण होने से यह ग्रामीणों के ज्यादा दिन काम नहीं आ सकेगा। इसलिए इस ओर अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए।
मुक्तिधाम की जमीन का नहीं कराया परिसीमन:

मुक्तिधाम की बाउंड्री की जा रही है, लेकिन यह बाउंड्री मनमर्जी से मुक्तिधाम की सीमाएं बनाकर बनाई जा रही है। जबकि कायदे से इसका सीमांकन कराया जाना चाहिए। अभी तक बिना बाउंड्री के होने से इसकी जमीन का पता ही नही है कि कहां कितनी खेतों में दब चुकी है। इसलिए इसका सीमांकन बेहद जरूरी था।

लेकिन यहां जिम्मेदारों ने कहीं कोई कार्रवाई नहीं की और मनमर्जी से ही बाउंड्री का निर्माण शुरू करा दिया गया है।
उपयंत्री बोले ईंटों को हम रिजेक्ट कर चुके हैं।
उधर इस मामले में जनपद के उपयंत्री तरूण कदम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यहां जो ईंट आई है वह लग ही नहीं रही। इसे हम रजिक्ट कर चुके हैं। वहीं यहां कोई रेत चंबल का नहीं रखा है।

यह कैसे हम करिवाही करेंगे कि यह चंबल का रेत है या सिंध का। चंबल का रेत तो कहीं आ ही नहीं रहा है। वह तो प्रतिबंधित है। यहां कहां से आ गया। जब उनसे पूछा गया कि रेत चंबल का है तो क्या कार्रवाई होगी तो इसे टालते हुए कह दिया कि इस पर तो वरिष्ठ अधिकारी ही कार्रवाई करेंगें।

About The Author

Related posts