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Kabir Mission News > Blog > खेल > अष्ट्रेलिया जीता तो हारा कौन भारत या राहुल द्रविड़
खेल

अष्ट्रेलिया जीता तो हारा कौन भारत या राहुल द्रविड़

Rameshwar Malviya
Last updated: 2023/11/22 at 10:05 PM
Rameshwar Malviya
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4 Min Read
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कबीर मिशन समाचार। क्रिकेट जगतइस वर्ल्ड कप में कोई ऐसी टीम नहीं जिसको हमने ना हराया हो और जब-जब जीते किसी न किसी खिलाड़ी में आकर कॉन्फ्रेंस की। कभी गिल ने तो कभी शमी, कभी विराट ने तो कभी रोहित, कभी राहुल ने तो कभी अय्यर ने और क्यों ना करते? ये हमारे खिलाड़ी उस जीत और मंच के पूरे हकदार थे।लेकिन एक दिन ऐसा आया जो हमारा नहीं था और हम फाइनल में हार गए।

इस दिन की हार का मंच राहुल द्रविड़ के हिस्से में आया। राहुल द्रविड़ कॉन्फ्रेंस में आते हैं और बताते हैं कि किस तरह से वो अपने प्लेयर पर प्राउड फील करते हैं।इस वर्ल्ड कप के सीनियर खिलाड़ियों में विराट और अश्विन के पास वन डे वर्ल्ड कप है। रोहित के पास 2007 वाला T20 वर्ल्ड कप है। लेकिन द्रविड़ के पास ? बेचारे राहुल द्रविड़ के पास इनमें से कुछ भी नहीं है। 2003 वर्ल्ड कप में फाइनल हारे, 2007 में उनकी कप्तानी में टीम नॉक आउट स्टेज में nभी नहीं पहुंच पाई। और अब बीस साल बाद फिर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

क्या उन्हें यह मलाल नहीं रहा होगा कभी कुछ ना जीत पाने का? बिल्कुल रहा होगा, वह भी इंसान है। मुझे लगता है यही मलाल और अधूरापन द्रविड़ को बार-बार क्रिकेट की ओर खींचता है। संन्यास के बाद वह आईपीएल टीम का कोच बनते हैं, लेकिन वहां भी कुछ हाथ नहीं लगा। उसके बाद भारतीय क्रिकेट में वापस लौटते हैं, लेकिन इस बार एक कोच की तरह। अंडर-19 लेवल पर उन्होंने बेहतरीन काम किया और अच्छे-अच्छे हीरों को तलाश जो आज के और भारतीय क्रिकेट के भविष्य के सितारे हैं।

जब द्रविड़ को लगा कि अब वह नेशनल टीम के लिए तैयार हैं तो नेशनल टीम में वापस लौटते हैं कोच बनकर। अब इस टीम में सारे खिलाड़ी वो होते हैं जिन्होंने या तो राहुल द्रविड़ की मौजूदगी में डेब्यू किया था या फिर खुद राहुल द्रविड़ ने उनको अंडर-19 लेवल पर तराशा है। कोच बनने के लिए इससे बेहतर टीम नहीं हो सकती थी। लेकिन इस बार भी बेचारे राहुल द्रविड़ के हिस्से में वर्ल्ड कप नहीं आया।

लेकिन उन्होंने टीम के सीनियर सदस्य होने के नाते हार के मंच का चुनाव खुद ने किया और कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब दिए। कभी-कभी लगता है राहुल द्रविड़ इन खिलाड़ियों के सहारे अपना सपना पूरा करने में लगे हुए हैं, अपना अधूरापन मिटाने में लगे हुए हैं। लेकिन हार मिलती है तो वह सबसे आगे खड़े होते हैं और अपने बच्चों को उसे हार के गम से दूर रखने की कोशिश करते हैं। यह ठीक वैसे ही है जैसे एक अच्छा पिता अपने बच्चों के सपनों के माध्यम से अपना मलाल मिटाने की कोशिश कर रहा होता हैं लेकिन पूरा न होने पर बच्चों के साथ खड़ा होता हैं, उस हार के गम के आगे खड़े होता है जिसमें लोग डूब जाते हैं।

हमें स्टार प्लेयर की वरशिप करते हुए यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट में विराट, रोहित, गिल, ईशान जैसे सितारे तभी होंगे जब कोई राहुल द्रविड़ द्रविड़ जैसा दीवाना अपना अधूरापन मिटाने के लिए पूरी ईमानदारी के साथ अपने काम में लगा हुआ होगा।

मेरे हिसाब से राहुल द्रविड़ भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े तीन लीजेंड में से एक हैं, उनका योगदान इतिहास के पन्नों में हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी ईमानदारी देखते हुए मुझे पूरा यकीन है कि एक न एक दिन उनका है यह मलाल और अधूरापन किसी न किसी रूप में जरूर मिटेगा। लेख – दीपक शंकर जौरवाल

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Rameshwar Malviya November 22, 2023 November 22, 2023
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